क्या और अधिक स्वर्गदूतों का पाप में गिरना सम्भव है?

प्रश्न क्या और अधिक स्वर्गदूतों का पाप में गिरना सम्भव है? उत्तर पहला तीमुथियुस 5:21 हम से ऐसा कहता है, “परमेश्‍वर, और मसीह यीशु और चुने हुए स्वर्गदूतों को उपस्थित जानकर मैं तुझे चेतावनी देता हूँ कि तू मन खोलकर इन बातों को माना कर, और कोई काम पक्षपात से न कर।” चाहे चुने हुए…

प्रश्न

क्या और अधिक स्वर्गदूतों का पाप में गिरना सम्भव है?

उत्तर

पहला तीमुथियुस 5:21 हम से ऐसा कहता है, “परमेश्‍वर, और मसीह यीशु और चुने हुए स्वर्गदूतों को उपस्थित जानकर मैं तुझे चेतावनी देता हूँ कि तू मन खोलकर इन बातों को माना कर, और कोई काम पक्षपात से न कर।” चाहे चुने हुए के धर्मसिद्धान्त के ऊपर आपका कैसा भी दृष्टिकोण क्यों न हो, बाइबल स्पष्ट है कि परमेश्‍वर किसी तरह से उन लोगों को चुनने में कार्यरत् है, जो बचाए जाएँगे — या फिर, इसी वचन को स्वर्गदूतों पर लागू करते हुए कि कौन से स्वर्गदूत पाप नहीं करेंगे।

परमेश्‍वर की प्रभुता सम्पन्न निर्णय पूरी बाइबल में दिखाई देते हैं: उसके द्वारा अब्राहम को कई जातियों के पिता के रूप में चुनना (उत्पत्ति 17:4-5); उसने इस्राएल को उसके विशेष लोग होने के लिए चुना (उत्पत्ति 17:7); उसने मरियम को यीशु की माता होने के लिए चुन लिया था (लूका 1:35-37); उसने प्रभु यीशु के साथ तीन तक रहने और उससे शिक्षा पाने लिए बारह प्रेरितों को चुन लिया था (मरकुस 3:13-19); और उसने कई लोगों को व्यक्तिगत् और अपने लेखों दोनों ही के द्वारा सुसमाचार देने के लिए पौलुस को चुन लिया था (प्रेरितों के काम 9:1-19)। इसी तरह से, उसने “हर एक कुल और भाषा और लोग और जाति में से” लोगों को मसीह में विश्‍वास लाने के लिए चुन लिया है (प्रकाशितवाक्य 5:9)। जिन्हें उसने चुना है, वे उसके पास आएँगे और वह उन्हें कभी भी न निकालेगा।

ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्‍वर ने स्वर्गदूतों के सम्बन्ध में भी चुनाव किया है। परमेश्‍वर के पवित्र स्वर्गदूत “चुने” हुए हैं — अर्थात् यह कि परमेश्‍वर ने उन्हें चुना है। कदाचित् ऐसा प्रतीत होता है, परमेश्‍वर ने किसी समय सभी स्वर्गदूतों को केवल एक-ही-बार उसकी आज्ञा पालन करने या न करने के लिए निर्णय लेने के लिए अवसर प्रदान किया था। पाप करने और लूसीफर का अनुसरण करने वाले खो गए और दण्ड के अधीन हो गए। परमेश्‍वर के प्रति विश्‍वासयोग्य बने रहने वाले अपने निर्णय के कारण सुरक्षित हैं। बाइबल हमें विश्‍वास करने के लिए ऐसा कोई भी कारण नहीं देती है कि यह सम्भव है कि और अधिक स्वर्गदूत पाप कर सकते हैं, इससे हमें विश्‍वास करने का यह कारण मिल जाता है कि चुने हुए कभी भी पाप में नहीं गिरेंगे और सदैव के नहीं खोएँगे।

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